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सेक्शन 80C, 80CCC, 80CCD(1) और 80CCD (2)


आईटीआर-1 के पार्ट-C में डिडक्शन एंड टैक्सेबल टोटल इनकम हेड में शुरुआती तीन रो में आपको इन्हीं तीनों सेक्शन के हिसाब से किये गए खर्च और निवेश की जानकारी देनी है.

इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट के लिए आम विकल्प ये हैं:
a. जीवन बीमा पॉलिसी के लिए प्रीमियम
b.PPF, EPF एवं VPF में निवेश
c.हाउसिंग लोन में मूलधन का भुगतान
d.म्यूचुअल फंड की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) में निवेश
e.पोस्ट ऑफिस बचत योजना (सुकन्या समृद्धि आदि), NSC या सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम आदि में निवेश
सेक्शन 80C, 80CCC, 80CCD(1) के तहत वित्त वर्ष 17-18 में कुल 1.5 लाख रुपये के निवेश पर आपको टैक्स छूट मिल सकती है. अगर आप नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश करते हैं तो टैक्स छूट की आपकी कुल सीमा दो लाख रुपये पर पहुंच जाएगी.

टैक्समैन के डीजीएम नवीन वाधवा ने कहा, 'NPS में किये गए अतिरिक्त निवेश पर टैक्स छूट प्राप्त करने के लिए आप इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80 CCD(1B) वाले सेक्शन में इसकी जानकारी भर सकते हैं. किसी एक वित्त वर्ष में आप इस सेक्शन के तहत 50,000 रुपये से अधिक का फायदा नहीं उठा सकते.'
सेक्शन 80C, 80CCC, 80CCD(1) और सेक्शन 80 CCD(1B) के तहत टैक्स छूट का दावा करने के लिए बॉक्स कैसे भरें?
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अगर आपका नियोक्ता आपके वेतन से NPS में निवेश करता है तो आप इसके लिए इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80CCD (2) के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. इस सेक्शन के तहत निवेश पर टैक्स छूट पाने की कोई सीमा नहीं है, लेकिन आपका नियोक्ता आपकी 
सैलरी के 10% से अधिक NPS में निवेश नहीं कर सकता. सैलरी में बेसिक और महंगाई भत्ता शामिल है.


सेक्शन 80D, 80DD और 80DDB
अगर आपने स्वास्थ्य बीमा खरीदा है तो उसके लिए चुकाए गए प्रीमियम के बदले आप इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80D के तहत इनकम टैक्स में छूट पा सकते हैं. खुद, पति/पत्नी, आश्रित बच्चों के लिए खरीदे गए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर 25,000 रुपये तक के प्रीमियम पर आयकर में छूट उपलब्ध है.

'अगर आप अपने पैरेंट्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते हैं तो उसके लिए अलग से 25,000 रुपये के प्रीमियम पर टैक्स छूट मिल सकती है. अगर पैरेंट्स सीनियर सिटीजन हैं तो टैक्स छूट की रकम बढ़कर 30,000 रुपये हो जाती है.'

यह ध्यान रखें कि जॉब/कारोबार कर रहे बच्चे, सास-ससुर- भाई-बहन और दादा-दादी के लिए खरीदे गए हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर टैक्स छूट नहीं मिलती है.

अब आप इनमें से किसी एक विकल्प का चुनाव करें और उस हिसाब से टैक्स छूट का दावा करें

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यह भी ध्यान रखें कि इस सेक्शन के तहत कर छूट का दावा करने के लिए जरूरी है कि आपने हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम का पेमेंट नकदी में नहीं किया हो.
सेक्शन 80DD
अगर आपके परिवार में कोई विकलांग है और वह आप पर आश्रित है तो उसकी देखभाल पर होने वाले खर्च के बदले इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80DD के तहत टैक्स में छूट पा सकते हैं.

वाधवा ने कहा, 'इस सेक्शन के तहत टैक्स लाभ हासिल करने के लिए जरूरी है कि कानून में जिक्र बीमारियों से ही विकलांग आश्रित पीड़ित हो.'

इस सेक्शन के तहत विकलांगता के हिसाब से टैक्स की रकम में छूट मिल सकती है. अगर व्यक्ति 40% तक विकलांग है तो आप उसकी देखभाल पर 75,000 रुपये तक के खर्च पर इनकम टैक्स में राहत पा सकते हैं.

अगर विकलांगता का स्तर 80% तक है तो टैक्स छूट की रकम 1.25 लाख रुपये तक हो सकती है. टैक्स में राहत की इस रकम का दावा करने के लिए आपको किसी सरकारी अस्पताल से फॉर्म 10-IA के फॉर्मेट में सर्टिफिकेट बनवाना होगा.

सेक्शन 80DDB
इस सेक्शन के तहत आप खुद या बच्चों की किसी खास बीमारी पर किये गए खर्च को कवर कर सकते हैं. इस सेक्शन के तहत इनकम टैक्स में छूट की अधिकतम रकम उस व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करती है जिसकी बीमारी का इलाज किया जा रहा है.

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इस सेक्शन के तहत इनकम टैक्स में छूट का लाभ तभी मिल सकता है जब उस बीमारी के इलाज के लिए किसी डॉक्टर ने सुझाव दिया हो. डॉक्टर की पर्ची पर मरीज का नाम, पता, रजिस्ट्रेशन नंबर और डॉक्टर की योग्यता आदि के बारे में साफ़-साफ़ लिखा होना चाहिए.

अगर इलाज किसी सरकारी अस्पताल में चल रहा हो तो उसका नाम और पता भी साफ-साफ़ लिखा होना चाहिए.

सेक्शन 80E: उच्च शिक्षा के लिए लिए गए लोन के ब्याज पर टैक्स छूट
अगर आपने खुद, बच्चे, पति/पत्नी के लिए लिए गए एजुकेशन लोन पर वित्त वर्ष 2017-18 में ब्याज चुकाया है तो उसके लिए आप इनकम टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं.

वाधवा ने कहा, 'इनकम टैक्स कानून के मौजूदा नियमों के मुताबिक टैक्स में छूट के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है. एजुकेशन लोन पर ब्याज का भुगतान शुरू होने के बाद से आठ साल तक टैक्स में छूट का फायदा उठाया जा सकता है.'

सेक्शन 80EE: होम लोन के ब्याज पर इनकम टैक्स में छूट
आप होम लोन के ब्याज पर 50,000 रुपये की अतिरिक्त राहत पा सकते हैं अगर आप इन शर्त को पूरा करते हैं:
a. होम लोन 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच लिया गया हो.
b. होम लोन की कुल रकम 35 लाख रुपये से अधिक नहीं हो.
c. खरीदे गए घर की कीमत 50 लाख रुपये से अधिक नहीं हो.
d. आपका यह पहला घर हो.

अगर आपने इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी की पूरी सीमा पर आयकर में छूट का लाभ उठा लिया है तो आप इस सेक्शन के तहत टैक्स में छूट ले सकते हैं.

सेक्शन 80G
अगर आप सामाजिक संस्था या शोध संस्थान को दान देते हैं तो आपके द्वारा दी गई रकम पर इनकम टैक्स में छूट पा सकते हैं. इनकम टैक्स में राहत की रकम हालांकि आपने किस तरह की संस्था को दान दिया है, इस पर निर्भर करती है.

आईटीआर फाइल करते वक्त आप इस छूट का दावा करने के लिए छठे टैब में सेक्शन 80G की मदद लें. यह टैब चार सेक्शन में बंटा हुआ है. इसके तहत आप दान की गयी रकम पर 100 या 50% तक राहत पा सकते हैं.

*ग्रॉस एडजस्टेड इनकम के 10 फीसदी तक की रकम पर ही इस सेक्शन के तहत इनकम टैक्स में राहत मिल सकती है.
*अधिकतम सीलिंग के बिना दान की 50 या 100 फीसदी रकम पर इनकम टैक्स में राहत मिल सकती है.

अगर आपने दान नकदी में दिया है तो टैक्स छूट की अधिकतम सीमा सिर्फ 2000 रुपये होगी.

सेक्शन 80GG: किराये पर टैक्स छूट
अगर आपको नियोक्ता से HRA नहीं मिला है और आपने वित्त वर्ष 2017-18 में किराया चुकाया है तो आप इस सेक्शन के तहत इनकम टैक्स में राहत पा सकते हैं.
इसके लिए भी हालांकि कुछ शर्त हैं:
*कुल आमदनी के 10% से अधिक चुकाया गया किराया
*कुल आमदनी का 25%
*हर महीने 5000 रुपये किराया

इनकम टैक्स में राहत के लिए इस सेक्शन के तहत दावा करने में आपको कई बातों का ख्याल रखना पड़ता है.

वाधवा ने कहा, 'अगर आपका किसी और शहर में मकान है, आप जॉब के लिए दूसरे शहर में हैं तो आप इस सेक्शन के तहत इनकम टैक्स में राहत का दावा कर सकते हैं.'

सेक्शन 80GGA, 80GGC, 80QQB और 80RRB
अगर आप विज्ञान के रिसर्च से जुड़ी किसी संस्था, कॉलेज या विश्वविद्यालय को दान देते हैं तो आप इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80GGA के तहत कर छूट का दावा कर सकते हैं.

अगर आप इन्हें नकद दान देते हैं तो इनकम टैक्स कानून के इस सेक्शन के हिसाब से टैक्स में राहत के लिए सिर्फ 10,000 रुपये तक ही कर छूट का दावा किया जा सकता है.

सेक्शन 80GGC
अगर आप किसी राजनीतिक पार्टी को दान देते हैं तो आप इस सेक्शन के तहत इनकम टैक्स में राहत पा सकते हैं. इस सेक्शन के तहत इनकम टैक्स में राहत की कोई अधिकतम सीमा नहीं है, बस आपने दान नकद नहीं दिया हो.

सेक्शन 80QQB
अगर आपने कोई किताब लिखी है और आपको रॉयल्टी मिली है तो इनकम टैक्स कानून के इस सेक्शन के तहत आप तीन लाख रुपये तक की रकम पर इनकम टैक्स में राहत पा सकते हैं. यह किताब स्कूल-कॉलेज के लिए टेक्स्ट बुक नहीं होनी चाहिए.

अगर आपने पहली अप्रैल 2003 के बाद किसी पेटेंट के लिए आवेदन किया है और उसे रजिस्टर कराया है तो उससे मिली रॉयल्टी पर आप इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80RRB के तहत टैक्स छूट पा सकते हैं. इसके तहत भी इनकम टैक्स में राहत की अधिकतम सीमा तीन लाख रुपये है.

सेक्शन 80TTA: बैंक के बचत खाते में मिले ब्याज पर इनकम टैक्स में छूट
बैंक में आपके बचत खाते पर मिले ब्याज की 10,000 रुपये तक की आमदनी पर आपको इनकम टैक्स में राहत मिलती है.
इसके लिए हालांकि आपको आईटीआर में अन्य स्रोत से आमदनी मद में इसकी जानकारी देनी पड़ती है.

सेक्शन 80U: विकलांग व्यक्ति के लिए टैक्स छूट
अगर आप विकलांग हैं तो आप इनकम टैक्स कानून के इस सेक्शन के तहत टैक्स में राहत पा सकते हैं. अगर आप इस सेक्शन के तहत इनकम टैक्स में राहत का दावा करते हैं तो आपके बदले कोई अन्य व्यक्ति सेक्शन 80DDB में टैक्स छूट का दावा नहीं कर सकता.

इस सेक्शन के तहत इनकम टैक्स में छूट की अधिकतम रकम भी सेक्शन 80DD की तरह ही है.

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